लोकशाही एक्सप्रेस गोरेगांव
गोरेगांव सोनी ग्राम पंचायत की सरपंच हेमेश्वरी हरिनखेड़े और तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी बी. के. चव्हाण ने 15वें वित्त आयोग, सामान्य निधि और अन्य आयोगों से सामग्री खरीद और विकास कार्यों पर राशि खर्च की है लेकिन खर्च की गई राशि में अनियमिता बरती गई है। यह खुलासा तहसील जांच समिति द्वारा की रिपोर्ट में किया गया है।
जाँच अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें कहा गया है कि वे अनुशासनात्मक कार्रवाई और राशि की वसूली के पात्र हैं। विशेष उल्लेखनीय यह है कि कुछ ग्राम पंचायत की भी जांच की जाए तो इस तरह के मामले सामने आ सकते हैं।
सरपंच हेमेश्वरी हरिनखेड़े और तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी बी. के. चव्हाण ने नोनीटोला में नल योजना के पाइपलाइन कार्य में उचित से अधिक बिल जोड़कर धन का व्यय दिखाया था ,और बताया था कि 15वें वित्त आयोग और सामान्य निधि से विकास कार्यों और सामग्री खरीद पर लाखों रुपये खर्च किए गए हैं। ग्राम पंचायत अधिकारी ने ग्राम सभा में पढ़कर सुनाया था कि 15वें वित्त आयोग और सामान्य निधि से विकास कार्यों और सामग्री खरीद पर लाखों रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें नोनीटोला में पुस्तकालय में पुस्तकें, सीलिंग फैन, लैपटॉप, हैंडवाश स्टेशन निर्माण, मॉड्यूलर कुर्सियाँ, अलमारियाँ, पाइपलाइन आदि की खरीद पर होने वाले खर्च का ब्यौरा दिया गया था।
ग्रामीणों ने ग्राम सभा में इस पर आपत्ति जताते हुए मुद्दा उठाया था। इसी बीच, पंकज चव्हाण, यश पटले, कैलाश बिसेन, प्रकाश बघेले और अन्यों ने 22 अगस्त को गट विकास अधिकारी हेमराज गौतम से शिकायत की थी कि किए गए कार्यों और खर्च की गई निधि की जाँच कर जांच में दोषी पाए जानेवालो के खिलाफ
अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और सरपंच व ग्राम पंचायत अधिकारी से राशि वसूल की जाए। इस शिकायत के आधार पर गट विकास अधिकारी हेमराज गौतम ने विस्तार अधिकारी (पंचायत) टी.डी. बिसेन को जाँच सौंपी।
जाँच अधिकारी बिसेन ने शिकायत में दिए गए मुद्दे पर विकास कार्यों और सामग्री खरीदी की जाँच की, तो राशि में विसंगति पाई गई।जिसके बाद
पंचायत विभाग के टी. डी. बिसेन ने गुट विकास अधिकारी हेमराज गौतम और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोंदिया को एक रिपोर्ट दी है कि ग्राम पंचायत अधिकारी चव्हाण व सरपंच दोषी हैं और अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा राशि की वसूली के पात्र हैं।